भाई बोले, “Light Up The Darkness”

सर्किट :- भाई, ये में क्या सुनरेलाय…. लोग बोल रहे हैं, तुमने भाईगिरी छोड दि… क्या ये सच है?

मुन्ना :- बिलकुल सच सुना सर्किट, अपून ने भाईगिरी छोड दि है.

सर्किट :- भाई, तबियत तो ठिक हैं?…. किसी ने तुम पे झाडफुक तो नहीं करवाया.

मुन्ना :- तू मामू हैं सर्किट , झाडफुक ऐसा कुछ नहीं होता हैं रे. बस मुझे वो… क्या बोलते हैं उसे… हा रिअलाइज (realise) हुआ की, अपने लाईफ को एक मिनिंग (meaning) की और इस सोसायटी को एक वोलिंटिअर (volunteer) की जरूरत है….

सर्किट :- वोलिंटिअर बोले तो…

मुन्ना :- वोलिंटिअर (volunteer) बोले तो ‘स्वयंसेवक…’ अपून आज से ऑर्गन डोनेशन का वोलिंटिअर का काम करेगा…

सर्किट :- भाई, मैं बोलता हूँ ये जादा हो रहा हैं हा….हम दोनों ने एक जिम्मेदार नागरिक की तरह ऑर्गन डोनेशन का फॉर्म भरा हैं , तो हो गया ना फिर… अपनी रिस्पॉसिबिल्टी (responsibility) वहीं खतम…

मुन्ना :- सर्किट, यही ती लोग गलती करते हैं… असल में ऑर्गन डोनेशन के बारे में अपनी रिस्पॉसिबिल्टी वहीं से शुरू होती है.

सर्किट :- क्या बोल रहे हो भाई…. अपून को थोड़ा समझा….

मुन्ना :- सर्किट, थोडा रिसर्च करेगा तो तुम्हे समज में आयेगा, अपने कंट्री में हरसाल लगभग ५ लाख लोग ट्रान्सप्लांन्ट के लिये ऑर्गन नहीं मिलने से अपनी जान गंवा देते हैं, इतनी बड़ी कंट्री अपनी लेकीन ऑर्गन डोनेशन का रेट कितना होयगा अंदाजा लगा….

सर्किट :- कुछ अंदाजा नहीं भाई….

मुन्ना :- सिर्फ 0.01%…. तुम्हे क्या लगता है, इतनी जाने क्यूँ जाती होगी और ऑर्गन डोनेशन का रेट इतना कम क्यूँ होगा….

सर्किट :- भाई,क्यूँ?

मुन्ना :- क्यूँ के अंधेरा हैं… अज्ञान का अंधेरा.

सर्किट :- अज्ञान का अंधेरा बोले तो….

मुन्ना :- देश में अभी भी ऐसे बहोत लोग हैं जिन्हें ऑर्गन डोनेशन हे बारे में कुछ पता ही नही और जिनको पता है, उनके मन में ऑर्गन डोनेशन के बारे में डाउट (doubt) है, तो वो लोग ऑर्गन डोनेशन नहीं करते…तो इसे मैं बोलता हूँ अज्ञान का अंधेरा , जिस वजह से ऑर्गन डोनेशन का रेट कम हैं.

सर्किट :- भाई….तो फिर ये अज्ञान का अंधेरा कैसे दूर होयगा….

मुन्ना :- अंधेरा दूर करना पड़ेगा सर्किट, अपने आप नही होयगा. तू बोल, घर में अंधेरा हो…तो क्या करते हैं?

सर्किट :- दिया जलाते हैं भाई….

मुन्ना :- हा… अपून को भी वोईच करना पडेंगा, दिया जलाना पडेंगा. एक एक पब्लिक के दिल में ऑर्गन डोनेशन के इम्पॉर्टन्टसं (importance) का दिया जलायेंगे.

सकिर्ट :- भाई करोड़ों लोग हैं अपने देश में एक लाईफ कम पड़ेगा इस काम के लिए.

मुन्ना :- टेन्शन नहीं लेने का रे सर्किट, रोज ५ लोगों से ऑर्गन डोनेशन के बारे में बात करेंगे. चलो, ५ नहीं २ लोगों से तो बात करेंगे या फिर १ को तो बता ही सकते हैं… सर्किट

जितने दिये जले, उतना अंधेरा हटा. एक दिन आयेगा, अंधेरा पूरा मिट जायेगा”

सकिर्ट :- ये मस्त हैं भाई…. अपून को आज से, अभी से तेरे साथ आने का हैं. अपून को भी ऑर्गन डोनेशन वोलिंटीअर बनना हैं.

मुन्ना :- आजा ना सर्किट… अरे बहोत लोगों की जरूरत हैं, लेकिन उसके लिए एक शरत हैं…

सकिर्ट :- शरत बोले तो…

मुन्ना :- लोगों के मन में ऑर्गन डोनेशन के बारे में बहोत घना अंधेरा हैं. तो पहले तुम्हे ऑर्गन डोनेशन के बारे में, उसके प्रोसेस के बारे में पुरी जानकारी लेनी पडेगी. तभी तुम दुसरों को ऑर्गन डोनेशन करने के लिए मदत या प्रोत्साहन कर सकोगें…

सर्किट :- शरत मंजूर हैं भाई…. वो क्या बोलते हैं… मैं खुद को अपडेट रखुंगा और विनम्र के साथ लोगो से बात करूंगा…

मुन्ना :- सर्किट अभी तू एकदम सही रास्ते पे हैं…

सर्किट :- भाई, एक और बात सोचो, हम ये ऑर्गन डोनेशन वोलिंटीअर बन के बहोत सारा काम करते रहेंगे, तो एक दिन स्कुल के किताबों में अपने ही काम के किस्से होंगे और पार्क में हम दोनों के पुतले…

मुन्ना :- अरे सर्किट, वो सब अपून को मालूम नहीं , लेकिन इस काम से हम को दुवायें मिलेंगी और अपने लाईफ को एक मिनिंग (meaning) मिलेगा..

– सुशांत पोतदार

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