दान करो पुण्य मिले, स्वर्ग बने धरती

पापा जब चलते थे थोड़ी थकान महसूस होती थी पहले ऐसा महसूस हुआ की गरमी की वजह से यह हो रहा है | डॉक्टर ने कुछ टेस्ट करने के लिए कहा |
 
सीटी स्कैन करने के बाद पता चला की उन्हे ILD है | फेफडो की क्षमता कम हो चुकी है | वे  सिर्फ 50% काम कर रहे हैं | किसी भी व्यक्ति को  यह जानकर अवश्य धक्का लगेगा ।

फिर उनका इलाज शुरू‌ हुआ। Dr. Nitin abhyankar के‌ पास उनका इलाज जारी रखा । सर ने उन्हे Defcort steroid medicine शुरू‌ किए ।

एक बार डॉक्टर से बात करते वक्त उन्होंने हमे इस बात से अवगत कराया कि ILD patient को भविष्य मे फेफडो का transplant करना पड सकता है ।

यह बात कोई भी सह नहीं सका । लेकिन पापा ने उसी दिन मन‌ बना लिया‌ कि मैं अपने जीवन में इतना बडा ऑपरेशन नहीं करूगाँ ।

यह बात है 19 फरवरी 2013 की । जीवन कब कैसे मोड पर हमें ला‌ खडा कर देता हैं वह तो सिर्फ कुदरत को ही पता‌ हैं । उसके आगे सभी को नतमस्तक होना पड़ता हैं । जीवन में बहुत उतार – चढाव देखने के बाद अब जाकर कही स्थिरता आई थी ।

बचपन‌ से ही मेरे पापा सामाजिक कार्यो  में रुचि रखते । जन्मभूमी राजस्थान और कर्मभूमी 1968 से पूना । एक छोटी सी दुकान में अपने भाईयो संग कंधे से कंधा मिलाकर दिन रात मेहनत करते गए । पिताजी द्वारा दिए संस्कार मंत्र का अनुसरण करते हुए जीवन के हर क्षेत्र में धीरे धीरे उन्नति करने लगे ।

गंगा की निर्मल धारा समान जीवन जीया । बहुत ही परोपकारी , प्रतिभाशाली, करुणा रस का दरिया । लोगो के दुख को अपना दुख समझते । सहज हमेशा मानवता का हा‌थ बढाकर उनकी मदद करते ।

नियति का अपना ही लेखा – जोखा होता हैं । सुख और समाधान अपने अग्रिम चरण पर था । बेटे बेटी अपने अपने जीवन‌ में आगे बढे चुके थे ।  जन – कल्याण के जो रुप – स्वरुप उनसे जो हो पाता वे सदैव करते रहते ।

काफी समझाने पर योगा और ध्यान में अपना मन‌ केंद्रित करने लगे । फेफडों की दवाई से उनका रक्त का ग्लुकोज बढ‌ जाता । Diabetes के दवाई का असर इतना नहीं हुआ । परिस्थिती के अनुकूल insulin के 3 बार dose शुरू कि‌ए । 
 
जीवन‌ में 4 जून 2021 का दिन मैं कभी न भूल पाऊंगी‌ । उस दिन पापा जोर से हापने लगे , किसी के भी समझ  नहीं आ रहा‌ था क्या हुआ । उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया । भाग्य का फेर जो उन्हे अब बाह्य ऑक्सीजन के साधनों पर निर्भर रहना पडा ।

दो दिन के इलाज के बाद उन्हें घर लाया गया । जुलाई महिने के अंत में Dr. Apar jindal के साथ हमारी meeting रखी । उनसे यह मालूम हुआ कि अब Lung transplant की‌ window open हो गई हैं । जब किसी patient को कृत्रिम oxygen का सहारा लेना पडे  तब उसे transplant के बारे में विचार करना आवश्यक हो जाता है।

एक आशा की किरण मेरे रोम – रोम में जाग उठी । मैं अपने पापा को हर हाल में अपने साथ‌ देखना चाहती हूं । हैद्राबाद जाकर वहा‌ 3 महिने रहना डॉक्‍टर साहब की बातों ने मुझे पूरी तरह सकारात्मक सोचने की राह दिखाई । 

आए दिन पापा की बिगडती हालत‌ ‌हमसे देखी नहीं जाती । थोडा सा चलते ही सास फूल जाती । रात‌ – रात भर सो नहीं पाते । खाना – पिना बिल्कुल नाम मात्र हा हो गया । कभी कभी क्रोध में जरा – जरा सी बात पर तिनक जाते । जिस व्यक्ति ने हमेशा दूसरों को सहारा दिया आज उसे बाथरुम तक जाने के लिये किसी ओर पर अवलंबित रहना पडता ।

हमारे लाख समझाने – बुझाने पर भी वह  transplant के लिये तैयार नहीं हुए । काफी डाक्टरों की भी सलाह ली । परंतु वह अपनी मनोशक्ती बढा न‌ पाए। हॉस्पिटल के पलंग पर लेटे हुए भी सेवा‌ – धर्म उनके नस नस में है ।

लगभग 6 महिनों में उन्हे 10 बार अस्पताल में भर्ती करना पडा । पूरा दिन घर पर भी oxygen cylinder 5/6 Litre पर उन्हे रखा गया । फेफडों ने जवाब देना शुरु कर दिया । अब धीरे धीरे शरीर नीला पड जाता । पूरा पूरा दिन‌ खांसी रहती ।

अंतिम बार जब उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया वह हर वक्त मेरा नाम‌ पुकारते, जब बात करने में तकलीफ हुई तो मेरा नाम लिखते कहते अब मुझे जाने दे, मुझसे सहा न जाएगा।

मानवता की दिव्य विभूति मेरे पापा जब उन्होंने आख़िरी सॉस ली । तब भी  महान कार्य का पुण्य उपार्जन किया‌ और अपने नेत्रदान करके हमसे विदा ली ।

बहुत हिम्मत‌ और‌ हौसला रखते हुए उस संपूर्ण प्रक्रिया की मैं साक्षी बनी । अपने पापा के जाने का अत्यंत गम, जाते जाते किसी के अंधेरे जीवन‌ में उजियाला कर गए ।

आप प्रेम स्नेह के झरने हो
अबोल जीवों के सहारा हो
मानवता के आधार हो
परिवार का जीवन – सार हो ।
शत – शत नमन इस महान हस्ति को । सदैव आप मेरे पालक बने यही मनोकामना । दान पुण्य के बताए हुए आपके पथ पर निरंतर चलने का आर्शीवाद प्रदान करना ।

वह पुण्यभूमी मेरी , वह स्वर्णभूमी मेरी
वह जन्मभूमी मेरी , वह मातॄभूमी मेरी

तुझ चरणो में अर्पण जीवन
जग को दया दिखाई , हमको दया सिखाई
दान पुण्य की भाषा‌ समझाई
मोह – मुक्ति से दूर परछाई
जीवन की सर्वोच्च कमाई
देह त्याग पर अवयव दान जरुर करो भलाई ।

– ममता शहा

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